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India Pakistan Tension: पाकिस्तान-भारत टेंशन से घबराया ये मुस्लिम देश… टकराव बढ़ा तो भूख से तड़पने की आ सकती है न

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India Pakistan Tension: पाकिस्तान-भारत टेंशन से घबराया ये मुस्लिम देश… टकराव बढ़ा तो भूख से तड़पने की आ सकती है न

India Pakistan Tension: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता टकराव अब सिर्फ बॉर्डर की खबर नहीं रह गया है. इसका असर एशिया की थाली पर भी साफ दिख सकता है. इस टेंशन से चावल, प्याज और बाकी जरूरी खाने की चीजों पर खतरा मंडरा रहा है.

दरअसल, भारत इस वक्त दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है. पाकिस्तान भी इस रेस में चौथे नंबर पर आता है. दोनों देश मिलकर साउथ ईस्ट एशिया के कई देशों को सिर्फ चावल ही नहीं, प्याज और अन्य जरूरी खाद्य सामग्री भी भेजते हैं. ऐसे में इन दोनों देशों के बीच किसी भी तरह की जंग या टकराव का असर सीधा इन सामानों की सप्लाई और कीमतों पर पड़ सकता है.

दूसरी जगह से मंगवाना पड़ेगा चावल

भारत द्वारा किए गए एयरस्ट्राइक और पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई के बाद मलेशिया ने सबसे ज्यादा चिंता जताई है. 65 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले देश मलेशिया के फूड सिक्योरिटी मिनिस्टर मोहम्मद साबू ने साउथ चाइना पोस्ट से बात करते हुए कहा, “अगर युद्ध या तनाव पोर्ट्स या डिलीवरी इंफ्रास्ट्रक्चर को प्रभावित करता है, तो हमारे देश की चावल की इंपोर्ट पर असर पड़ेगा.”

ये देश भारत पर निर्भर

मलेशिया, इंडोनेशिया और सिंगापुर जैसे देश चावल के लिए काफी हद तक भारत और पाकिस्तान पर निर्भर हैं. मलेशिया तो अपनी कुल चावल की खपत का सिर्फ 50 फीसदी ही खुद पैदा करता है. बाकी उन्हें भारत, पाकिस्तान, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देशों से मंगवाना पड़ता है. भारत और पाकिस्तान से ही अकेले 40 फीसदी चावल आता है.

आसमान पर पहुंच सकते हैं दाम

मलेशिया की सरकार ने कहा है कि फिलहाल उनके पास 6 महीने के लिए चावल का स्टॉक है, लेकिन समस्या सिर्फ स्टॉक की नहीं है, कीमतों की भी है. भारत के सस्ते चावल ने पिछले कुछ सालों में ग्लोबल मार्केट को हिला दिया था. थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों की चावल की बिक्री गिर गई थी. लेकिन अब अगर तनाव बढ़ा, तो कीमतों में उछाल आ सकता है.

अब बढ़ सकता है दबाव

मलेशिया पहले ही घरेलू चावल संकट का सामना कर रहा है. वहां आरोप लग रहे हैं कि कुछ कार्टेल जानबूझकर चावल का स्टॉक छुपा रहे हैं, ताकि कीमतें और बढ़ जाएं. ऐसे में अगर भारत-पाक के बीच जंग बढ़ी, तो ये संकट और गहरा हो सकता है.

यूक्रेन युद्ध का असर भी देख चुके हैं पड़ोसी देश

युद्धों का असर सिर्फ चावल या गेहूं तक नहीं होता. जब यूक्रेन युद्ध हुआ था, तब मलेशिया में चिकन की कीमतें काफी बढ़ गई थीं क्योंकि मक्का (फीड) महंगी हो गई थी. नतीजा ये हुआ कि मलेशिया ने चिकन का एक्सपोर्ट रोक दिया और सिंगापुर जैसे देशों को ब्राज़ील जैसे दूर-दराज़ देशों से चिकन मंगवाना पड़ा.

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