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ग्रेग एबेल…कभी धुलते थे बोतलें अब संभालेंगे 72 लाख करोड़ की कंपनी! जानिए वॉरेन बफे के वारिस की असली

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ग्रेग एबेल…कभी धुलते थे बोतलें अब संभालेंगे 72 लाख करोड़ की कंपनी! जानिए वॉरेन बफे के वारिस की असली

दुनिया के सबसे सफल निवेशकों में गिने जाने वाले वॉरेन बफे (Warren Buffet) ने आखिरकार वो घोषणा कर दी, जिसका इंतज़ार सालों से किया जा रहा था. शनिवार को बफे ने अपनी कंपनी बर्कशायर हैथवे (Berkshire Sathaway) के शेयरहोल्डर्स से कहा, “मुझे लगता है अब वो समय आ गया है जब ग्रेग एबेल (Greg Abel) को कंपनी का CEO बना देना चाहिए.” जी हां, 94 साल के वॉरेन बफे ने साफ कर दिया है कि वो इस साल के अंत तक CEO के पद से हट जाएंगे और ग्रेग एबेल को कंपनी की कमान सौंपने की सिफारिश करेंगे.

ग्रेग एबेल को भी नहीं थी जानकारी

यह एलान तब हुआ जब एक लंबा पांच घंटे का Q&A सेशन खत्म हुआ और इसके बाद इस पर कोई सवाल-जवाब की इजाजत नहीं दी गई. दिलचस्प बात ये रही कि बफे के इस फैसले की जानकारी पहले से सिर्फ उनके बच्चों – हावर्ड और सूसी बफे को थी, जो खुद कंपनी के बोर्ड में हैं. यहां तक कि ग्रेग एबेल, जो बफे के साथ मंच पर बैठे थे, उन्हें भी इस फैसले की भनक तक नहीं थी.

कौन हैं ग्रेग एबेल? (Who Is Greg Abel)

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 62 साल के ग्रेग एबेल, जो पिछले 25 सालों से बर्कशायर हैथवे का हिस्सा हैं, अब इस 865 अरब डॉलर की कंपनी को संभालने जा रहे हैं. कैनेडा के एडमंटन में जन्मे एबेल, एक बेहद साधारण परिवार से आते हैं. बचपन में बोतलें धोने से लेकर फायर एक्सटिंगुइशर की सर्विसिंग जैसे छोटे-मोटे काम करके उन्होंने अपनी पढ़ाई का खर्च निकाला. 1984 में यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा से ग्रेजुएशन करने के बाद एबेल ने PricewaterhouseCoopers और CalEnergy जैसी कंपनियों में काम किया.

फिर 1992 में उन्होंने MidAmerican Energy जॉइन की, जिसे 1999 में बर्कशायर ने खरीद लिया. यहीं से उनकी असली उड़ान शुरू हुई. 2008 में वह MidAmerican के CEO बने और अब वे बर्कशायर की सभी नॉन-इंश्योरेंस कंपनियों को संभालते हैं, जैसे कि BNSF रेलवे, Berkshire Hathaway Energy और कई रिटेल और इंडस्ट्रियल बिजनेस.

वॉरेन बफे के भरोसेमंद हैं एबेल

2021 में ही ये तय कर दिया गया था कि अगर बफे कभी CEO पद छोड़ेंगे, तो उनकी जगह ग्रेग एबेल ही लेंगे. हालांकि अभी तक उन्होंने इंश्योरेंस सेक्टर या कंपनी के बड़े निवेश फैसलों में सीधे तौर पर भाग नहीं लिया है. अब वो ये जिम्मेदारी भी संभालेंगे और इस काम में उन्हें साथ मिलेगा वाइस चेयरमैन अजीत जैन का.

ग्रेग एबेल को बर्कशायर के लीडरशिप सर्कल में खूब सम्मान मिलता है, लेकिन उनकी असली परीक्षा अब शुरू होगी. वॉरेन बफे जैसा लीजेंड जो अपनी 30 फीसदी हिस्सेदारी के साथ कंपनी को बेहद व्यक्तिगत अंदाज़ में चलाते रहे हैं, उनके जैसा काम कर पाना किसी के लिए आसान नहीं है. एबेल के पास उतनी हिस्सेदारी नहीं है और ये बात उनके फैसलों पर असर डाल सकती है. लेकिन खुद बफे ने साफ किया है कि वो ग्रेग पर पूरा भरोसा करते हैं और कंपनी में अपना फाइनेंशियल स्टेक भी बनाए रखेंगे.

क्या ग्रेग एबेल “नेक्स्ट वॉरेन बफे” बन पाएंगे?

ये सवाल अब हर निवेशक और बिज़नेस वर्ल्ड के ज़ेहन में घूम रहा है. क्या ग्रेग एबेल वो कर पाएंगे, जो बफे ने दशकों में कर दिखाया? क्या वो निवेश की उस कुर्सी पर बैठ पाएंगे, जिसकी ऊंचाई खुद बफे की बनाई हुई है फिलहाल तो एक युग का अंत और नए युग की शुरुआत तय हो चुकी है. अब समय बताएगा कि ग्रेग एबेल क्या बड़ा कर सकते हैं.

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